क्या आप जानते हैं कि हमारी प्रिय राधा जी के कुल कितने नाम हैं?


जब भी प्रेम, भक्ति और समर्पण की बात होती है, तो सबसे पहले जिस नाम का स्मरण होता है, वह है श्री राधा। राधा जी केवल श्रीकृष्ण की प्रेयसी नहीं, बल्कि वे स्वयं प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं।

अनेक भक्तों के मन में यह जिज्ञासा उठती है — “हमारी प्रिय राधा जी के कुल कितने नाम हैं?” क्या उनके नामों को गिना जा सकता है, या फिर उनका प्रत्येक भाव स्वयं एक नाम बन जाता है?

राधा नाम — शब्द नहीं, साक्षात प्रेम

राधा नाम कोई साधारण नाम नहीं है। यह ऐसा नाम है जिसे जपते ही हृदय पिघलने लगता है। संतों का कहना है कि राधा नाम स्वयं श्रीकृष्ण को भी वश में कर लेता है।

इसी कारण कहा जाता है — “पहले राधे, फिर कृष्ण।” क्योंकि जहाँ राधा का नाम है, वहीं श्रीकृष्ण स्वयं विराजमान होते हैं।

क्या राधा जी के नामों की कोई निश्चित संख्या है?

शास्त्रों और भक्ति परंपराओं के अनुसार राधा जी के नामों की कोई सीमित संख्या नहीं है। जितना प्रेम, उतने नाम।

फिर भी, भक्तों की साधना और जप के लिए राधा जी के 108 नाम प्रचलित हैं। इन नामों का जप करने से मन शुद्ध होता है और हृदय में भक्ति जागृत होती है।

श्री राधा जी के 108 पावन नाम

नीचे राधा जी के 108 दिव्य नाम श्रद्धा भाव से प्रस्तुत हैं —

  1. राधा
  2. राधिका
  3. राधे
  4. श्री राधा
  5. राधा रानी
  6. किशोरी
  7. वृषभानु नंदिनी
  8. श्रीजी
  9. राधेश्वरी
  10. श्यामा
  11. माधवी
  12. हरिप्रिया
  13. कृष्णप्रिया
  14. प्रियजी
  15. रसिकेश्वरी
  16. प्रेमस्वरूपिणी
  17. ह्लादिनी
  18. ललिता सखीप्रिया
  19. कुंजविहारिणी
  20. गोपीश्रेष्ठा
  21. नित्यकिशोरी
  22. सौभाग्यदायिनी
  23. भक्तवत्सला
  24. करुणामयी
  25. दयारूपा
  26. अनंगमोहिनी
  27. श्यामासंगिनी
  28. कृष्णवल्लभा
  29. माधुर्यरूपा
  30. रसराजेश्वरी
  31. प्रेमनिधि
  32. भावमयी
  33. गोविंदहृदयवासिनी
  34. व्रजदेवी
  35. व्रजसुंदरी
  36. भक्तिप्रदा
  37. शरणागतवत्सला
  38. नित्यसेव्या
  39. प्रेमभक्तिदायिनी
  40. रसविहारिणी
  41. कृष्णप्राणप्रिय
  42. माधुर्यनिधि
  43. गोपीचूड़ामणि
  44. राधाकुंडनिवासिनी
  45. व्रजराजकुमारी
  46. नित्यनवयौवना
  47. श्यामप्रियसंगिनी
  48. भक्तिहेतु
  49. प्रेमपरायण
  50. करुणाकरिणी
  51. आनंदरूपा
  52. रासविहारिणी
  53. नित्यप्रिया
  54. श्यामहृदयेश्वरी
  55. गोपीभावमयी
  56. रसस्वरूपिणी
  57. राधामाधवप्राण
  58. नित्यलीलाविहारिणी
  59. व्रजप्राणाधिका
  60. प्रेममूर्ति
  61. भक्तिमूर्ति
  62. करुणानिधि
  63. रसनिधि
  64. प्रेमदायिनी
  65. व्रजराजेश्वरी
  66. रासरानी
  67. नित्यश्री
  68. प्रेमलक्षणा
  69. कृष्णहृदयवासिनी
  70. भावप्रिया
  71. प्रेमभूषिता
  72. रसप्रिया
  73. कृष्णानुरागिणी
  74. गोपीरत्न
  75. राधामाधवस्वामिनी
  76. नित्यरासविहारिणी
  77. प्रेमस्वामिनी
  78. राधारमणप्रिय
  79. राधावल्लभा
  80. भक्तप्रियंकारी
  81. प्रेमप्रकाशिनी
  82. नित्यशोभा
  83. रसविलासिनी
  84. राधामाधवप्रिया
  85. नित्यप्रेममयी
  86. राधेश्वरीदेवी

राधा नाम जपने का भाव और अनुभूति

भक्तों का अनुभव है कि जब जीवन में कुछ भी समझ में न आए, तब केवल प्रेम से “राधे राधे” कहना प्रारंभ कर दो।

न कोई विधि, न कोई नियम, बस श्रद्धा और विश्वास।

धीरे-धीरे मन शांत होने लगता है, हृदय हल्का हो जाता है, और ऐसा अनुभव होता है मानो राधा जी ने भक्त को अपने आँचल में समेट लिया हो।

अंतिम भाव

राधा जी के नामों को गिनने का प्रयास मन की जिज्ञासा हो सकता है, लेकिन भक्त के लिए राधा नाम गणना का विषय नहीं, अनुभूति का विषय है।

जो भक्त प्रेम से एक बार भी राधा नाम पुकार लेता है, उसके लिए राधा जी सदैव उसके साथ चलती हैं — दुख में भी, सुख में भी।

इसलिए नामों की संख्या पूछने से अधिक, यदि हम जीवन में केवल इतना कर लें कि राधा नाम को अपने हृदय में स्थान दे दें, तो हमारा जीवन स्वयं भक्ति बन जाएगा।

🙏 राधे राधे 🙏


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